प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 36)
थोड़ी दूर जाने के बाद वे दोनों क्रेकर से उतर कर बड़ी सावधानी से चलने लगे। अनि क्रेकर को थोड़ी दूरी पर स्थित एक झाड़ी में छिपा दिया, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसे मदद के लिए बुलाया जा सके। दोनों ही बड़ी सावधानी से छिपते-छिपाते उस इलाके तक चले गए जहां शायद सैकड़ो की संख्या में गॉर्ड मौजूद थे। अंधेरा होने के कारण उनकी गिनती अनुमानित थी, अनि चुपके से एक के पीछे गया, वह शख्स तब भी वहाँ उसी प्रकार खड़ा रहा, उसने कोई हलचल नहीं की, अनि ने अपना पैर पटककर उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया मगर वह शख्स जैसे का तैसे बूत बना रहा, अनि को यह देखकर आश्चर्य हुआ, अब तक उसकी आँखें उस शख्स को देख पा रही थीं, उसके हाथ में कोई विचित्र सा हथियार थमा हुआ था, ऐसा लग रहा था मानो वह कोई युगों प्राचीन योद्धा हो या फिर किसी दूसरी दुनिया से आया हुआ अजीबोगरीब वेशभूषा वाला सैनिक! क्योंकि कम से कम इस घने जंगल में कोई मूर्तिकारी करने तो नहीं आने वाला था। उसके बदन पर अजीब सा निशान बना हुआ था, अंधेरे में उसे ठीक से देख पाना संभव नहीं था और वहां रोशनी करने का मतलब सीधे मौत को दावत देना था, अनि अपनी आँखें फाड़े बड़े ध्यान से उसे देख रहा था। आशा भी उसके पीछे पीछे चली आई, उसने अनि को देख, अचानक उसका पैर एक लकड़ी से उलझ गया वह अपना संतुलन खोते हुए आगे की ओर गिरने लगी, दुविधा में पड़े हुए अनि का ध्यान जब तक उसकी ओर गया, आशा का हाथ उस पत्थर के कंधे से जा टकराया।
सम्पूर्ण वातावरण प्रकाश से भर गया, इतना तेज प्रकाश होने के कारण उनकी आँखें चौंधिया गयी, और जब आँखे खुली तो वहां कुछ भी शेष नहीं था।
"शिट! शिट! शिट!" अनि अपने बाल खींचने लगा। "तुम लड़कियां ढंग से एक काम तक नहीं कर सकती!" अनि ने गुस्से से बिफरते हुए बोला।
"मैंने क्या किया यार? मुझे लगा जैसे …!" आशा ने कुछ कहना चाहा, वह किसी अपराधिन की भांति सिर झुकाए खड़ी थी।
"बहाने न बनाओ निराशा जी, जो होना था वो हो चुका! अभी हमें खाली स्थान को रोकना बहुत जरूरी है।" अनि ने वापिस उल्टी दिशा में जाते हुए कहा।
"नहीं विरुद्ध जी! मेरी बात सुनो, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे हाथ अपने आप उसे छूने को बढ़ गए!" आशा ने सिर झुकाए हुए कहा।
"व्हाट?" अनि की आँखे फैलकर चौड़ी हो गई।
"हाँ! मुझे खुद नहीं पता जब मैं वहां खड़ी थी तो यहां कैसे चली आई! मुझे ऐसे लग रहा जैसे मैं कुछ देर के लिए बेहोश हो गयी थी उसके बाद मुझे अब होश आया रहा है।" आशा ने एक्सप्लेन करते हुए कहा।
"हे बजरंगबली! ये मैंने क्या कर दिया। मुझे तुम्हें यहां से भेज देना चाहिए था।" अनि ने अपने सिर पर हाथ मारा।
"ये तुम क्या कह रहे हो?" आशा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
"यही की तीसरी कड़ी मुक्त हो चुकी है! अब धीरे धीरे मुझे समझ आ रहा है, मुझे ऐसा लग ही रहा था कि ब्लैंक ने जानबूझकर तुम्हें यहाँ रहने दिया, अब तो मुझे कन्फर्म है कि वो किताब भी उसी ने भिजवाई होगी इसीलिए उसके आखिरी के पन्ने गायब थे, क्योंकि उस किताब में केवल उतनी ही जानकारी है जो वो आलरेडी कर चुका है, आगे क्या करेगा इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है!" अनि ने एक ही सांस में कहते गया।
"यानी तुम कहना चाहते हो कि….!"
"हाँ! उस सितार कड़ी को स्वतंत्र कराने के लिए उन्हें तुम्हारी जान नहीं चाहिए थी, बल्कि तुम्हारा स्पर्श चाहिए था क्योंकि तुम यहाँ अपनी मर्ज़ी से पांच रात बिता चुकी हो, केवल तुम्हारा स्पर्श ही इन सभी योद्धाओं को गायब कर सकता था, क्योंकि यही इस रिचुअल का नियम होगा। अगर कोई और इन्हें टच करता तो ये मूर्तियां उसे भी मूर्ति बना देती, तुम्हारें अपने आप जाकर उसे टच करना इस बात का पुख्ता सबूत है। इसका एक मतलब और है कि अंतिम बलि जिसकी भी होगी वो ब्लैंक के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट होगा। ये सब बहुत अधिक उलझा हुआ है।
ये खाली स्थान का दिमाग बहुत तेज चल रहा है वो हर बार मुझसे एक कदम आगे निकलता जा रहा है।" अनि अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गया।
"आज तुम पहली बार सीरियस हो रहे हो!" आशा उसको इस हाल में देखकर आत्मग्लानि से भर गई, हालांकि वह जानती थी कि उसने जानबूझकर कुछ नहीं किया पर फिलहाल वो खुद को नहीं समझा पा रही थी।
"अगर बात मेरी जान कि हो तो अनि को कोई परवाह नहीं, मगर इस अजीबोगरीब जगह पर न जाने क्या है? ये काला जंगल अपने आप खुल चुका है, ये क्या है क्यों है अब तक नहीं पता!" अनि की आँखों में आँसू भर आये थे, आशा का दिल बैठा जा रहा था, वो अनि के आँसुओ को सहन नहीं कर पा रही थी। "एक मिनट! अगर काला जंगल अपने आप खुल रहा है इसका मतलब ब्लैंक यहीं कहीं हैं, हमारे पास अब भी वक़्त है हमें उसे रोकना ही होगा।" कहते हुए अनि खड़ा हो गया।
"मैं जानती हूँ इस वक़्त वो कहाँ हो सकता है। अगर इसमें मेरी जान भी चली जाए तो मुझे गम नहीं! साथ जी नहीं सकी तो क्या, पास मर तो सकती हूँ।" आशा ने आंसू पोछते हुए कहा।
"चलो!" अनि ने क्रुद्ध स्वर में कहा। दोनों बड़ी सावधानी से उस क्षेत्र के पास जाने लगे जहाँ माइंस बिछाया हुआ था।
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अरुण बड़ी तेजी से बेनोग पर्वत की ओर बढ़ रहा था, जिस रास्ते पर कोई बाइक पैदल चलाने की भी नहीं सोच सकता था वहां उसकी स्पीड सैकड़ा पार थी। थोड़ी ही देर में वह रोड पर पहुँच गया, उसकी स्पीड दुगुनी होती चली गयी। थोड़ी देर बाद वो पुनः जंगल में भीतर की ओर प्रवेश किया जहां उस रास्ते में कई ट्रक उसके इंतजार में खड़े थे। ट्रक से टकराने से बचने के लिए एक ही रास्ता था, बाइक रोक देना, अरुण रोकना तो नहीं चाहता था मगर ट्रक्स को खींचने वाले एक मोटे केबल ने उसकी बाइक को वहीं रोक दिया, जो दो ट्रक्स के बीच मजबूती से बंधा हुआ था, अरुण का ध्यान उसपर नहीं गया वह तेजी से उछलते हुए एक ट्रक से जा टकराया, ठीक उसी वक़्त चार-पाँच नकाबपोशों ने उसे घेर लिया, अगले ही पल नकाबपोशों की संख्या पचासों में पहुँच गयी।
"अहा! बड़ा ही शुभ दिन आया है। कहना तो रात ही चाहता था, मगर दिल नहीं किया।" अपने सीने पर बायीं ओर हाथ रखे हुए, उस भीड़ से निकलकर बाहर आते हुए उस नकाबपोश नें कहा जो बाकी सभी से अलग नजर आ रहा था। "अब तुम कहोगे कि मुझे कैसे पता कि तुम यहाँ आ रहे हो सिम्पल सी बात है, ब्लैंक को सब पता होता है हाहाहाहा….!"
"ब्लैंक! तुझे जिंदा नहीं साले, तूने इस मिट्टी को बहुत सता लिया, मासूमों पर बहुत जुल्म कर लिया, अब तुझे हरेक का हिसाब देना होगा।" अरुण ने गुस्से की अधिकता से चीखते हुए कहा, उसकी आँखें ब्लैंक को देखकर खौलने लगी थी, दिल में एक भयानक पीड़ा उभरी जिसने उसके जिस्म में हैवानियत भर दी।
"हाहाहा…! जाल में फंसने के बाद चूहा भी बहुत छटपटाता है, तू तो वैसे भी शेर है हाहाहा…!" ब्लैंक ही अट्ठहास वातावरण में गूंज गयी, उसके साथ ही अन्य नकाबपोशों की हंसी भी शामिल हो गयी।
"शेर चाहें पिजरे में हो या जंगल में, शेर हमेशा शेर होता है ब्लैंक! तू आज तक सिर्फ इसलिए मुझसे बचा हुआ था क्योंकि मेरे सामने नहीं आ रहा था, वरना अपने कुत्तों का हाल देखता, तेरा कलेजा फटकर हाथ में आ जाता।" अरुण ने दहाड़ते हुए कहा, उसके दोनों हाथों में उसकी स्पेशल खंजर नजर आने लगी, जिन्हें वह अपने जूतों के साथ अटैच्ड रखता था।
"गलत बच्चे! बिल्कुल गलत। मैं तेरे सामने इसलिए नहीं आया क्योंकि मुझे पहले शेर का पेट भरना था ताकि मैं आराम से शिकार कर सकूँ उसके बाद वैसे भी मुझे जो चाहिए वो हासिल हो ही जायेगा।" नकाब के कारण ब्लैंक का एक्सप्रेशन नहीं दिखाई दे रहा था, मगर नकाब के पीछे छिपे चेहरे और एक धूर्त मुस्कान तैर गयी थी।
"बस यही गलती करते हैं कुत्तें! उन्हें लगता है सौ कुत्ते मिलकर एक शेर का शिकार कर लेंगे। पर वे भूल जाते हैं शेर, शेर होता है और कुत्ता बस कुत्ता।" अपने स्थान से उछलते हुए अरुण ने ब्लैंक पर प्रहार करना चाहा मगर उसकी शक्तिशाली लात ने उसे वापिस जमीन पर पटक दिया।
"अगर बात कुत्ते और शेर की है तो याद रखना ये कुत्ते भी जंगली हैं, जो एक तो क्या सैकड़ो शेरों को फाड़कर सूखा सकते हैं।" ब्लैंक ने चेतावनी भरे गंभीर लहजे में कहा। "मार मार कर हड्डियां तोड़ दो साले की, मगर याद रखना ब्लैंक का वादा टूटना नहीं चाहिए, जब हमारे कदमों में ये दुनिया हो तो उस वक़्त ये उस पल का गवाह बने!" कहते हुए ब्लैंक वहां से निकल गया।
उसके जाते ही सभी एक साथ अरुण पर पिल पड़े, मगर इस बार सभी के हाथों में बन्दूक के बजाए खंजर और कटारी थी। एक ने अरुण की गर्दन पर प्रहार करना चाहा, अरुण हल्का सा झुकते हुए अपने हाथ में थमे खंजर को थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए उठा, वह खंजर उस बन्दे के गले को चीरता हुआ बाहर निकल आया। वह शख्स हलाल हो रहे बकरे की तरह तड़पते चीखता रहा, थोड़ी ही देर में उसकी तड़प शांत हो गयी थी। ये देखकर बाकी सभी नकाबपोशों की अंतरात्मा कांप गए, अगले ही पल सभी उसकी ओर दौड़ते हुए बढ़े, एक ने उसकी टांग पर निशाना बनाकर खंजर फेंका, अरुण ने खंजर से बचते हुए बैक फ्लिप लेते हुए उछला और हल्का टर्न होते हुए उसने एक जोरदार लात मारी, वह शख्स ट्रक से जा टकराया, तभी एक दूसरा आगे आया। अरुण ने अपने दोनों हाथ में थमें खंजरों को हवा में उछालते हुए उल्टे तरीके से पकड़ा और दोनों के सीने में खंजर घोंपते हुए खींच दिया। बाकी सभी चिल्लाते हुए अरुण की ओर बढ़े, अरुण ने एक खंजर की नोंक को बड़े प्यार से पकड़ा फिर एक से वार रोकते हुए दूसरे से एक साथ सात-आठ की गर्दन चीरता गया, उसके चेहरे पर विभत्स मुस्कान थी, वह स्थान खून से सन चुका था। अभी भी अनेकों नकाबपोश उसे घेरे हुए थे, मगर कोई उसके पास जाने की हिम्मत नहीं कर रहा था। अरुण अपने पीछे खड़े शख्स को जोरदार लात मारते हुए आगे की ओर जम्प किया, तभी एक नकाबपोश हाथ में खंजर लिए उछला, अरुण ने उससे बचने की कोशिश हुए उसके मत्थे में खंजर भोंक दिया मगर बचते बचाते उसके बाएँ हाथ में भी खंजर धंस चुका था, अरुण उस शख्स सहित वापस सभी नकाबपोशों के बीच गिरा, उसकी बाँह में धंसी खंजर उस नकाबपोश के गिरते ही निकल गयी, अरुण के हाथ से तेजी से खून बहने लगा, उसने उसके माथे से खंजर निकाला और चारों ओर घूम-घूमकर देखने लगा।
सभी के हाथों में हथियार थमा हुआ था, कई जगह कट लगने के कारण अरुण का भी ढेर सारा खून बहता जा रहा था मगर वह अपने जबड़े भींचकर सारे दर्द को पीने में लगा था उसके चेहरे पर सिर्फ दरिंदगी दिखाई दे ही थी। अरुण तेजी से उठा एक शख्स उसकी ओर खंजर लिए तेजी आगे बढ़ा, अरुण ने खुद को एक ओर करते हुए उसे दूसरी ओर धक्का दे दिया। वह शख्स खुद को संभाल न सका, दूसरी कर ओर से एक और शख्स कटारी लेकर आगे बढ़ रहा था, मगर उसकी कटारी का वार अरुण को न लगकर उस नकाबपोश को लगा, वह उसी दूसरे नकाबपोश पर गिरता चला गया, दूसरे वाले ने पहले वाले को खुद से अलग किया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी, खंजर उसके सीने में धंस चुका था।
अब तक लगभग आधे नकाबपोश गुंडे निबट चुके थे। आधे जो बचे थे वे पूरी तरह चौकस थे, अरुण तेजी से कूदते हुए एक नकाबपोश के कंधे से उछला और पीछे खड़े ट्रक के बोनट पर कूद गया। उस ट्रक के सामने वाले शीशे पर भी वही निशान था जो अब तक के घटनाक्रम में लिप्त पाया गया था मगर फिलहाल अरुण का ध्यान इसकी ओर बिल्कुल नहीं गया, न ही इसकी कोई जरूरत महसूस हो रही थी। अरुण एक ट्रक से उछलते हुए दूसरे ट्रक पर कूद रहा था, सभी नकाबपोश ट्रकों पर चढ़ने लगे, थोड़ी ही देर में लगभग सारे नकाबपोश हथियार लिए ऊपर चढ़ गए तो कुछ नीचे ट्रक घेरकर खड़े थे। अरुण उनके वारो से बचते हुए ऐसे कूदा मानो वो जानबूझकर नहीं कूदा बल्कि गिर रहा हो, नीचे गिरने के साथ ही उसने अपने कमर में खोंसी हुए पिस्टल निकाली और एक के बाद एक साथ ट्रक्स के आयल टैंक को निशाना बनाता गया, डीजल तेजी से नीचे गिरने लगा। अरुण के चेहरे पर क्रूरता भरी मुस्कान तैर गयी। उसने एक और फायर झोंका और वहां से विपरीत दिशा में अपनी बाइक की ओर भागने लगा। इससे पहले बाकी के नकाबपोश कुछ कर पाते ट्रक्स और उस के आसपास का सारा एरिया बुरी तरह जलने लगा। आग की लपटें आसमान को छूने बढ़ चली, घनी अंधेरी रात में वहां उजाला हो गया था। बाकी के बचे हुए नकाबपोश किसी तरह वहां से अपनी जान बचाकर भागे।
"मैं जानता था यही होने वाला है।" दूर पहाड़ी पर बैठा वह नकाबपोश शख्स मुस्काया। उसके हाथों में स्नाइपर गन नजर आ रही थी, जिसका निशाना अरुण था। अरुण तेजी से उन ट्रक्स के विपरीत दिशा में चलता हुआ दूर जा रहा था, अब तक वह बेहद संकरे रास्ते पर आ चुका था जिस के दोनों ही ओर बेहद गहरी खाई थी। अचानक एक गोली उसकी बाइक के पिछले पहिये में आ लगी, पिछला टायर बर्स्ट हो गया, अरुण का संतुलन बिगड़ गया वह तेजी से उस गहरी खाई में गिरता चला गया।
क्रमशः….
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
04-Nov-2023 05:58 PM
गंभीरता से भरपूर भाग 👌
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